BHDC-104 'छायावाद': पाठ्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थी को आधुनिक हिंदी कविता के स्वरूप से परिचित कराना है। आधुनिकता का आगमन हिंदी साहित्य में एक विशिष्ट परिघटना है। आधुनिकता के आगमन के साथ ही कविता के स्वरूप में भी आमूलचूल परिवर्तन होता है। यह परिवर्तन भाव और भाषा के स्तर पर ही नहीं अपितु कविता की संरचना और युगबोध के स्तर पर भी सामने आता है। परंपरागत काव्य भाषाओं ब्रज - अवधी आदि की जगह खड़ी बोली कविता की भाषा बनती है। प्रस्तुत पाठ्यक्रम आप भारतेंदु युगीन कविता से लेकर छायावाद तक के महत्वपूर्ण कवियों और उनकी महत्वपूर्ण कविताओं से परिचित होंगे। पाठ्यक्रम में अध्ययन हेतु निर्धारित कविताओं की सप्रसंग व्याख्या भी खंड 3 में दी गई है, जिसके माध्यम से आप कविताओं को गंभीरता पूर्वक पढ़- समझ सकेंगे। इस पाठ्यक्रम में तीन खंड और 17 इकाइयां हैं। यह 6 क्रेडिट का पाठ्यक्रम है। पाठ्यक्रम की संरचना इस प्रकार निर्मित की गई है कि विद्यार्थी संबंधित पाठ्यचर्या के अध्ययन के साथ ही आधुनिक हिंदी कविता के विकास क्रम को भी भली-भांति समझने में सक्षम हो सकेंगे।
BHDC-105 छायावादोत्तर हिंदी कविता: यह पाठ्यक्रम हिंदी कविता के एक ऐसे कालखंड के बाद की कविता पर केन्द्रित है, जिसके पश्चात अनेक काव्यप्रवृत्तियों और काव्यांदोलनों का उदय हुआ। छायावादोत्तर हिंदी कविता के अंतर्गत आप छायावादी काव्यांदोलन के पश्चात उदित हुए प्रमुख काव्यांदोलनों प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नई कविता, समकालीन कविता तथा प्रमुख कवियों केदारनाथ अग्रवाल, नागार्जुन, दिनकर, माखनलाल चतुर्वेदी, अज्ञेय, भवानी प्रसाद मिश्र, रघुवीर सहाय, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना और केदारनाथ सिंह का अध्ययन करेंगे। प्रगतिवाद ने हिंदी कविता की विचार भंगिमा और सामाजिक दायित्व में वृद्धि की, उसे समृद्ध किया और जनता के दुख-दर्द से सीधे सम्बद्ध किया। प्रयोगवादी कविता ने नयी काव्य चेतना के साथ कविता में एकरसता की जमीन को तोड़ा। प्रयोगवादी कवि नई राहों के अन्वेषी के रूप में सामने आये। नई कविता सन् 1951 ई. के बाद की उन कविताओं को कहा गया, जिनमें परम्परागत कविता से आगे नये मूल्यों और नये शिल्प-विधान का अन्वेषण किया गया। यह कविता किसी भी तरह के बाद बंधन से मुक्त होकर रची गई कविता थी, जिसमें जीवन का कटु यथार्थ काव्य - मूल्य के रूप में प्रतिष्ठित हुआ । समकालीन कविता आधुनिक कविता के विकास में नयी चेतना, नयी भाव-भूमि और नवीन शिल्प संवेदना के बदलाव की काव्यधारा है। छायावादोत्तर हिंदी कविता के इस पाठ्यक्रम में अध्ययन हेतु 19 इकाईयाँ दी जा रही हैं. जिनमें क्रमवार विद्यार्थी हिंदी कविता के विकास और प्रमुख कवियों का अध्ययन करेंगे। तीन खंडों में विभाजित इस पाठ्यक्रम के प्रथम दो खंड प्रमुख काव्यांदोलनों और कवियों पर आधारित हैं, तथा तीसरा खंड इन कवियों की चयनित कविताओं के वाचन और विश्लेषण पर केन्द्रित है।
"BHDE-142 राष्ट्रीय काव्यधारा: भारतीय स्वाधीनता आंदोलन का साहित्य से गहन संबंध रहा है। विभिन्न साहित्यकारों, पत्रकारों और सम्पादकों ने अपनी लेखनी के माध्यम से स्वतंत्रता की आकांक्षा को स्वर दिया। साहित्य प्रारंभ से ही स्वतंत्रता की बलिवेदी पर अपना सर्वस्व निछावर करने वाले क्रांतिवीरों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलता रहा है। उनकी प्रेरणा के लिए अपनी लेखनी चलाता रहा हैं, उनके अभियानों का जयघोष करता रहा है तथा उनकी कीर्ति और समर्पण के विजयगान उद्घोषित करता रहा है। ब्रिटिश उपनिवेश का विरोध पराधीनता से मुक्ति, राष्ट्रीय-सांस्कृतिक चेतना का विस्तार और राष्ट्र जागरण तत्कालीन साहित्य की केन्द्रीय चिंता के रूप में स्थापित हो जाता है। हिंदी के सभी प्रमुख साहित्यकारों ने अपनी रचनात्मकता के माध्यम से राष्ट्र जागरण के इस अभियान में अपना योगदान दिया । स्वाधीनता के पश्चात भी राष्ट्रीय चेतना के प्रसार और राष्ट्रीयता की भावना के जागरण हेतु यह काव्यधारा सत्तत प्रवाहित हो रही है।
BHDG-173 'समाचार पत्र और फीचर लेखन': इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों को समाचार पत्रों से परिचित कराना एवं उसक लिए लिखना, सिखाना है। इस पाठ्यक्रम के अन्तर्गत उन सभी पक्षों की चर्चा की गई है, जिसका ध्यान समाचार पत्र के लिए लिखते समय रखना पड़ता है। इस तरह का लेखन विशेषज्ञता की मांग करता है। यह लेखन साहित्यिक लेखन से अलग होता हालांकि इस पाठ्यक्रम में विद्यार्थी पुस्तक समीक्षा के विषय में भी पढ़ेंगे, जो साहित्यिक लेखन का हिस्सा है। फिर भी अपनी पूर्णता में इस प्रकार का लेखन सहजता और प्रवाह की मांग अंवश्य करता है। इस पाठ्यक्रम में समाचार पत्रों की दुनिया, समाचार पत्रों तथा विभिन्न क्षेत्रों, विशिष्ट विषयों और विशिष्ट वर्गों पर फीचर लेखन की जानकारी दी गई है। इसका एक खण्ड साहित्यिक लेखन, साक्षात्कार और व्यक्तिचित्र से भी सम्बन्धित हैं क्योंकि समाचार पत्रों में इनको भी पर्याप्त जगह मिलती है। इस पाठ्यक्रम में चार खण्ड और बीस इकाइयां हैं। यह चार क्रेडिट का पाठ्यक्रम है।
यह पाठ्यक्रम आदिकाल से लेकर रीतिकाल तक के विविध काव्यधाराओं प्रवृत्तियों, परिस्थितियों और विशिष्ट कवियों के परिचय से संबंध है । इस पाठ्यक्रम के अध्ययन के पश्चात् शिक्षार्थी आदिकाल से लेकर आधुनिक कल तक के सम्पूर्ण साहित्य और प्रवृत्तियों से परिचित होगा ।