"यह भारतीय ज्ञानराशि के सांगोपांग अध्ययन हेतु समाज के सभी वर्गों के लिए ज्ञानप्रद और लाभप्रद कार्यक्रम है । हिन्दू शब्द से अभिव्यक्त किये जाने वाले भौगोलिक सम्प्रत्यय को मूलरूप से सनातन संस्कृति कहा जाता है। भौगोलिक परिचय के रूप में सिन्धु नदी से समुद्र पर्यन्त जो भूभाग है, उस भूभाग के निवासी और उनकी वंशावली को हिन्दू कहा जाता है। इस संस्कृति ने अध्यात्म, धर्म, विज्ञान, गणित, कला-कौशल, प्रशासन, राजव्यवस्था , अर्थनीति, कृषि आदि के क्षेत्रों में विश्व को बहुत कुछ दिया है। वर्तमान में भारत की विश्वविद्यालयीय शिक्षा प्रणाली में हिन्दू संस्कृति की ज्ञान-परम्परा का अध्ययन पाठ्यक्रमों के रूप में प्रारम्भ हो चुका है। विदेश के विश्वविद्यालय जैसे-ऑक्सफोर्ड, केम्ब्रिज हिन्दू यूनिवर्सिटी आफ अमेरिका आदि भी हिन्दू अध्ययन सम्बन्धी पाठ्यक्रम को लोकप्रियता के साथ सन्चालित कर रहे हैं । बौद्ध अध्ययन , इस्लामिक अध्ययन जैसे पाठ्यक्रम भी पढाये जाते हैं जिनमें इस्लामिक और बौद्ध अध्ययन के तात्पर्य केवल कुरान तथा धम्मपद नहीं है । ठीक इसी प्रकार हिन्दू अध्ययन से तात्पर्य केवल वेद पुराण आदि नहीं है। भारतीय संस्कृति और सभ्यता की समग्र निर्मिति में, जिसमें अमूर्त ज्ञानात्मक तत्वों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, उनका अध्ययन ही हिन्दू अध्ययन है। इस कार्यक्रम की अध्ययन सामग्री के द्वारा उक्त ज्ञानराशि की समग्र जानकारी प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है । इस प्रकार के अध्ययन से विद्यार्थी समाज के सरोकार में रहकर अपनी विद्या से स्वयं लाभान्वित रहते हुए, सभी के हित चिन्तन में भी संलग्न रहेंगे । राष्ट्रीयता की भावना भी सुदृढ होगी । देश की परम्परा का ज्ञान होगा । विषय ज्ञान के साथ-साथ रोजगार के प्रति प्रेरित करना और उसके लिए योग्य होने की क्षमता विकसित करना भी इस कार्यक्रम में सन्निहित है।"